क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 10
उसके बाद मंजू अपने घर आ जाती है । और अंजली,अमित को खत लिखती है और उसे बताती है की मंजू की शादी की तारीख रख दी गई है । अगले महीने के पहले रविवार को । तुम जरूर आना मुझे इतंजार रहेगा ।
और भी बहुत कुछ लिख कर वो उस चिट्ठी को सवेरे पोस्ट कर देती है और अमित के जवाब का इतंजार करती ।
दुर्जन और दादी भी मंजू की शादी का सुन कर खुश होते है ।
कुछ दिन बाद दरवाजे पर डाकिया आता है और अंजली उससे खत ले लेती है।
आज कल तेरे बहुत खत आ रहे है अंजली । दादी कहती है ।
क्या अम्मा तुम भी उसकी सहेलियां उसे खत लिखती है । दुर्जन कहता है
इसने कब से शहर में दोस्ती करली शहर तो ये गई नही आजतक । दादी कहती है
दादी वो जब परीक्षाएं हुई थी तब शहर से कुछ लड़कियां हमारे साथ परीक्षाएं देने आई थी उन्ही में से कुछ मेरी और मंजू की दोस्त बन गई थी बस वही खत भेजती है ।
अंजली ने पहली बार झूठ बोला था । वो चाहती तो सच बता देती लेकिन दादी तिल का ताड़ कर देती इस लिए उसने झूट बोल दिया । और खत लेकर कमरे में चली जाती है।
और शाम होने का इतंजार करती । वो शाम को खत पढ़ती जिसमें लिखा था मैं जानता हूं कि राकेश और मंजू की शादी के बारे में क्योंकि मौसी जी शॉपिंग के लिए मेरे घर आई थी और राकेश भी उनके साथ ही दिल्ली आया था । बहुत खुश दिख रहा था भगवान करे हमेशा ऐसे ही खुश रहे ।
मैं तो राकेश की शादी से ज्यादा तुम्हे देखने के लिए बेताब हू काफी अरसा हो गया तुमको देखे और हा इस बार तुम्हे मां और पिता जी से भी मिलवाना है । मेने घर में बता दिया है तुम्हारे बारे में मां को तुम बहुत पसंद आई हो ।
अंजली खत पढ़ कर शर्माती है और फिर आगे पढ़ती है ।
मैने तुम्हारे लिए एक साड़ी खरीदी है जब राकेश के साथ बाजार गया था उम्मीद है तुमको पसंद आएगी और हा वो साड़ी तुम मंजू की शादी पर पहनना और मेरे माता पिता से मिलना वो साड़ी तुम्हारी खूबसूरती में चार चांद लगा देगी ।
अगली बार खत के साथ भेज दूंगा अपना खयाल रखना तुम्हारा दोस्त अमित ।
अंजली उस खत को बार बार पढ़ती और फिर अपने संदूक में रख कर सो जाती है ।
अब अंजली को रोज डाकिए का इतंजार रहता । क्या बात है अंजली आज कल तू दरवाजे को देखती रहती है कोइ आने वाला है क्या किसी का इतंजार है तुझे ।
अंजली घबराते हुए द,,,, द,,,, दादी वो मेरी दोस्त का खत नही आया है काफी दिनो से तो बस उसी का इतंजार है मुझे ।
दरवाजे पर दस्तक होती है। डाकिया, खत आया है
अंजली ये सुन दरवाजे की और दोडती और वो खत और एक पैकेट जो डाकिए के हाथ में था ले लेती है ।
और छिपा कर अन्दर ले जाती है ।
वो उसे खोलती तो देखती एक लाल रंग की खूबसूरत साड़ी होती है । वो उसे पहन कर देखती जो उस पर बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही होती है कोइ भी उसे उस साड़ी में देख ले तो मोहित हो जाए ।
अंजली बार बार आईने में खुद को निहारती । तब उसे खत का खयाल आता वो झट खोल कर पढ़ती ।
अंजली मैं जानता हू की तुमने तुरंत उस साड़ी को पहन कर देखा होगा और हो सकता है कि ये खत पढ़ते वक्त भी तुमने साड़ी पहन रखी हो । मैं तुम्हे इस साड़ी में देखने का ख्वाहिशमंद था लेकिन कोई बात नही अब राकेश की शादी को चंद रोज़ ही बचे है । तो मैं ने अपने दिल को समझा लिया है कि तुम्हे शादी वाले दिन ही देख लूंगा ।
और भी ना जाने कितनी प्यार भरी बातें उस खत में लिखी होती है जिन्हे पढ़ अंजली मन ही मन मुस्कुराती और फिर जल्दी से साड़ी बदल लेती है और खत को संदूक में रख देती और बाहर चली जाती ।
उसका मुस्कुराता चेहरा देख दादी पूछती है । क्या बात है ऐसा क्या लिखा था खत में जो तू इतना मुस्कुरा रही है ।
नही दादी बस सहेलियों ने कुछ चुटकुले लिखे थे उन्हीं को पढ़ कर हसी आ रही थी मुझे ।
अंजली को दादी से झूठ बोलना बिलकुल अच्छा नही लग रहा था । लेकिन वो क्या करती ।
इसी तरह देखते देखते मंजू की शादी का दिन नजदीक आ पहुंचा ।
मंजू और अंजली खुश भी थे और उदास भी । क्योंकि कुछ घंटो बाद वो अंजली से बिछड़ जाएगी और अलग दुनिया में कदम रखेगी जहा उसे इस तरह घूमने फिरने की आजादी नही मिलेगी । बाप के घर तो वो जब चाहें अंजली से मिलने जा सकती थी लेकिन अब ऐसा नही होगा अब तो उसे मायके आने के लिए भी इजाजत लेनी होगी ।
वो दोनो अपने बचपन के दिनो को याद करती है कि कैसे वो खेतो खाल्यानों में दौड़ा करती थी और गर्मियों में बागो से कच्चे आम तोड़ कर लाया करती थी ।
स्कूल में लंच टाइम से पहले ही वो दोनो अक्सर खाना खा लेती थी और पकड़े जाने पर दस उठक बैठक लगाती । घर आकर दादी को परेशान करती थी ।
केसे वो गर्मी की दुपहरी में गुड़ियों गुड्डो की शादी किया करती थी ।
और अब असली में तेरा गुड्डा तुझे अपने साथ ले जाएगा अंजली कहती है ।
और तेरा भी । मंजू कहती
ये सून अंजली शर्माती ।
शर्मा क्यू रही है मुझे सब पता है दोस्ती तो सिर्फ एक बहाना है असल में तो मोहब्बत है तुम दोनो को एक दूसरे से ।
कमरे में मंजू की मां आती ओर कहती चलो हल्दी की रस्म शुरू करनी है ।
हल्दी की रस्म होती है सब लोग नाच गाना करते है । मंजू के पिता मेहमानो की आओ भगत में लगे होते है ।
अंजली की नजरे अमित को ढूंढ़ रही होती है । इसी तरह हल्दी की रस्म हो जाती है और अंजली अपने घर आ जाती ।
पिताजी आज तो बहुत थक गई हू में । बस आराम से एक अच्छी नींद लूंगी क्योंकि कल मंजू की शादी है बहुत सारे काम करना है । वो तो मुझे अपने पास रोक रही थी लेकिन मुझे आपको देखे बिना नींद कहा आती है । अंजली कहती है
तो बेटा रुक जाती कल तेरी दोस्त विदा होकर इस गांव इस गली से हमेशा के लिए चली जाएगी फिर वो मेहमानो की तरह आया करेगी । आज रात तू वही रुक जाती तुझे भी तो ससुराल जाना है क्या वहा से भी भाग आएगी मुझे देखने के लिए दुर्जन कहता है
पिताजी आप बार बार मुझे विदा करने की बाते क्यू करते रहते है? दादी का असर आ गया है आप पर लगता है । मुझे कही नही जाना आप को छोड़ कर । अंजली कहती है
चल अब सोजा जा कर कल जल्दी उठना है तुझे कल तेरी सहेली को तेरी सबसे ज्यादा जरूरत होगी कल उसके लिए एक बडा दिन है कल वो पीहर को छोड़ कर ससुराल में अपना घर आबाद करेगी और दो घरों की इज्जत को अपने कंधो पर उठाए वो एक नई जिंदगी की शुरुआत करेगी ।
दुर्जन अंजली से बात करके वहा से चला जाता है ।
अंजली जो की बिस्तर पर लेट कर ना जाने किन पुरानी यादों में खो सी जाती है और इसी बीच उसकी आंख लग जाती और वो सो जाती है ।
मंजू भी उस रात काफी उदास होती है क्योंकि उस घर में उसकी आज आखिरी रात होती है कल से वो इस घर से विदा हो जाएगी और वो घर उसका अपना घर होगा और बाबुल का घर उससे छूट जाएगा और वो यहां सिर्फ मेहमान की हैसियत से आया करेगी ।
उसकी आंखों से आंसू निकल आते है । और रोते रोते वो सो जाती है
उधर अमित भी सुबह होने का इतंजार कर रहा होता है । वो अंजली को उस साड़ी में देखने के लिए बेताब हुए जा रहा था । और रात गुजरने का इतंजार कर रहा होता है । उसे लग रहा होता है मानो आज रात कुछ ज्यादा लंबी हो गई हो जैसे काटे नही कट रही थी ।
जब भी उसकी आंख खुलती और वो समय देखता तो सुबह होने में कुछ घंटे बाकी रहते और वो फिर सो जाता
इसी तरह तीनो के लिए वो रात बडी अनमोल थी एक से उसकी सहेली दूर जा रही थी तो दूसरी से बाबुल का आंगन छूट रहा था और तीसरे को अंजली को देखने की चाह हो रही थी उस साड़ी में ।
इसी तरह सवेरा हो जाता है। अंजली बेटा उठ जा क्या तुझे जाना नही है मंजू के घर । दुर्जन ने अंजली को हिलाते हुए कहा ।
क्या सुबह हो गई पिताजी ? अंजली ने पूछा
हा बेटा देख सूरज भी चढ़ आया है घडी में समय देख क्या हुआ है । दुर्जन कहता है
हाय भगवान ! सात बज गए पता नही रात किस वक्त मेरी आंख लगी नींद नही आ रही थी पिता जी । अंजली कहती है
होता है जब कोई अपना जुदा हो रहा होता है तब ऐसा ही होता है । चल अब नहा धोकर तैयार हो जा मैं नाश्ता बना रहा हू । शादी का घर है पता नही भागदौड़ में खाने का ध्यान रहे की नही दुर्जन कहता और वहा से चला जाता है ।
अंजली हाथ मूंह धोकर नहाने चली जाती है ।
बाहर आकर वो उस साड़ी को अपने बैग में रखती और बाहर नाश्ता करने चली जाती है ।
उठ गई महारानी आज तो काफी जल्दी उठ गई । दादी कहती है।
कैसे नही उठती जल्दी कुछ घंटे ही तो बचे है मेरी सहेली के विदा होने में अभी तो उससे खूब बाते करनी है फिर ना जाने कब मुलाकात हो । अंजली कहती
पिताजी नाश्ता तैयार है क्या। मुझे देर हो रही है मंजू मेरा इतंजार कर रही होगी अंजली कहती है ।
हा बेटा बस ला रहा हू । दुर्जन कहता
नाश्ता करके अंजली दौड़ती हुई मंजू के घर जाती ।
अरे बेटा संभाल के जाना । दुर्जन कहता है
आज बहुत खुश है और दुखी भी अंजली । दुर्जन कहता है । आज उसकी सहेली अपने घर की हो जाएगी मेरी बेटी एक बार फिर अकेली रह जाएगी दुर्जन अपनी मां से कहता है।
तू भी बस उसके हाथ पीले करने की तैयारी कर दे । कोई अच्छा सा लड़का देख और ब्याह दे । लड़की जात है खामखा कुछ ऊंच नीच कर बैठी तो बस। वैसे भी साहूकार का बेटा जैल से छूटने वाला होगा उसके निकलने से पहले ही इसका ब्याह करके इसे अपने घर का कर दे । जिंदगी मौत का कोई भरोसा नही कब यमराज आ जाए प्राण निकालने । दादी कहती है
हा अम्मा सोच तो रहा हू लेकिन अंजली की जुदाई कैसे बर्दाश करूंगा । इसी लिए सोच रहा हू वो कॉलेज की पढ़ाई और पूरी करले उसके बाद ही उसकी शादी करूंगा । दुर्जन कहता है
माहोल खराब है बेटा,मैं कोई अंजली की दुश्मन नही हू बस डरती हू बदनामी से कही कोइ लड़का उसके साथ कुछ कर ना बैठे या फिर वो किसी के साथ ना भाग जाए । दादी कहती है
कैसी बातें करती है अम्मा । भला मेरी बेटी क्यू मुझे बदनाम करने लगी मुझे अपनी परवरिश और अंजली पर पूरा भरोसा है वो कभी भी कोइ ऐसा कदम नही उठाएगी जिसमे हमारी बदनामी हो । चल अम्मा अब तू भी आराम कर मैं भी खेत पर जा रहा हू । शाम को मंजू को आशीर्वाद देने भी तो जाना है । दुर्जन कहता है।
अंजली मंजू के घर आती है । देर तो नही हुई आने में मुझे आंटी जी । अंजली ने मंजू की मां से पूछा
अरे नही बेटा हम सब भी अभी अभी सो कर उठे है । और मंजू तो अभी भी चादर ताने सो रही है मानो जैसे आज भी कोइ आम दिन हो । मंजू की मां कहती है
कोई नही आंटी मैं आ गई हू ना अब देखना कैसे वो मेरी एक आवाज में उठती है । अंजली कहती और मंजू के कमरे में चली जाती ।
दुल्हन साहिबा कब तक सोएगी देख ९ बज गए है । मेहमान आने लगे है और तू अभी तक चादर ताने सो रही है । तेरी तबियत तो ठीक है ये कहते हुए वो जैसे ही उसकी चादर हटाती है । वहा मंजू की जगह कुशन रखे होते है अंजली ये देख डर जाती ।
हे! भगवान ये लडकी कहा चली गई कही कुछ हो तो नही गया इसको । कही शादी से तो नही भाग गई लेकिन राकेश तो उसकी पसंद है वो भला उसे छोड़ कर क्यू भागेगी ।
क्या करू बाहर बताओ या नही की मंजू कमरे में नही है ।
हे! भगवान आखिर कहा जा सकती है ये लड़की अपनी शादी के दिन । अंजली घबराते हुए अपने आप से कहती
इसके कपड़े देखती हू कही भाग तो नही गई । अंजली उसके कपड़े देख ती है,जो अलमारी में ही रखे होते है वो कोई खत देखती है शायद मंजू ने जाने से पहले लिखा हो लेकिन वहा कुछ ऐसा ना था ।
तभी दरवाजे पर मंजू की मां आती है बेटा अंजली, मंजू उठ गई क्या? हमे उसे मन्दिर लेकर जाना है ।
अंजली घबराते हुए आ ,,, आ,,,, आंटी । वो म ,,, म,,, म मंजू नहाने गई है जैसे आती है बाहर लाती हू अंजली झूट बोलते हुए कहती है ।
अच्छा बेटा उससे कहो जल्दी करे मंजू की मां कहती और चली जाती ।
मंजू की बच्ची आख़िर कहा चली गई तू मुझे तो बता जाती । अब मैं काका काकी को क्या जवाब दूंगी की उनकी बेटी कहा चली गई ।
वो सोच ही रही थी की तभी पीछे से कुछ गिरने की आवाज आती है ।
हाय भगवान मर गई कोई उठाए मुझे ।
अंजली पीछे देखती तो वो मंजू होती है,जो की खिड़की से कूदते वक्त नीचे फर्श पर गिर पड़ी होती है
मंजू की बच्ची कहा गई थी तू तेरी मां कब से तुझे बाहर बुला रही है। मैं समझी तू भाग गई लेकिन तेरे कपड़े यही थे। अंजली ने मंजू का कान पकड़ते हुए कहा ।
बहन माफ करदे जाने दे मुझे मेरा कान दुख रहा है आज तो छोड़ दे आज तो मेरी शादी है । मैं बताती हू कहा गई थी । मंजू ने अंजली से कहा ।
चल अब बता कहा गई थी मुझको बिन बताए । अंजली पूछती है।
अंजली क्या है ना मैं सुबह जल्दी उठ गई थी । मैं अपने बिस्तर पर बैठी कुछ सोच रही थी की तभी मेरी खिड़की पर कुछ आन कर लगा मेने जाकर देखा तो नीचे राकेश खडा था जो मुझसे शादी से पहले मिलने आया था वो अकसर मुझसे ऐसे ही मिलने आता था ।
इसलिए वो आज आखरी बार एक आशिक की तरह मुझसे मिलने आया था क्योंकि आज रात को तो हम दोनो शादी के बंधन में बंध जाएंगे ।
बाहर लोग ज्यादा थे इसलिए मैं खिड़की से कूद कर चली गई ।
चालाक लड़की तुझे पता है शादी से पहले अपने होने वाले पति को देखना कितना अपशगुन होता है घर में किसी को पता चल जाता तो । अंजली गुस्से में कहती है
कुछ नही होता सब कहने की बाते है और तू कब से शगुन और अपशगुन को मानने लगी और वैसे भी किसी को कुछ पता नही चला तू ही है जिसे पता चला ओर तू तो किसी को बताने से रही मुझे तुझपर यकीन है । मंजू कहती है
चल अब ज्यादा मक्खन मत लगा आंटी कई बार आ चुकी है तेरा पूछने मन्दिर जाना है तुझे लेकर कई बार झूट बोल चुकी हू कि वो नहा रही है । अंजली कहती है
हे ! भगवान मुझे तो याद ही नही था की सुबह को मां के साथ मन्दिर जाना था बड़े पण्डित जी का आशीर्वाद लेने अच्छा हुआ तूने बता दिया बस में अभी दस मिनट में तैयार हो कर आती हूं ।
बीस मिनट बाद मंजू तैयार होकर बाहर आती है ।नजर ना लगे मेरी दोस्त को चांद का टुकड़ा लग रही है । नजर ना लग जाए कही । अंजली आंख से काजल निकाल के मंजू के लगाती है ।
और दोनो कमरे से बाहर आ जाती है ।
काकी ये देखे चांद का टुकड़ा तैयार है अब आप इसे जहा ले जाना चाहें ले जा सकती है । जब तक मैं घर का कोई और काम देख लेती हू। अंजली कहती है
तू नही चल रही क्या मेरे साथ मंजू पूछती है ।
नही मंजू आज तू अपनी मां और पिता और अपनी बहन भाई के साथ मन्दिर जा और प्रार्थना कर की तेरा विवाहित जीवन अच्छे से गुजरे तेरा ससुराल और मायका हमेशा खुशियों से भरा रहे । मैं जब तक घर की सफाई कर लेती हू।
तू बहुत समझदार हो गई अंजली, मंजू को गले लगाते हुए कहती है ।
मंजू अपने पूरे परिवार के साथ मन्दिर चली जाती है और अंजली मंजू के घर में साफ सफाई करने लगती है । तभी उसकी नज़र एक गुड़िया गुड्डे पर पड़ती है जिसे देख उसे मंजू के साथ बिताया बचपन याद आ जाता है । और उसकी आंखों से अश्रु बहने लगते है । उसका दिल भर आता है
थोड़ी देर बाद मंजू मन्दिर से लोट आती है जिसे देख अंजली उसे गले लगाकर रोने लगती है ।
अरे क्या हुआ अंजली तुझे शादी मेरी है और रो तू रही है ये आंसू संभाल के रख विदाई के वक्त काम आएंगे । मंजू ने अपने आंसुओ को रोकते हुए कहा वो भी रोना चाहती थी लेकिन अगर वो रोती तो उसके माता पिता जो अब तक अपने आंसुओ को दिल में छिपाए बेठे है वो भी रो देते ।
इसी तरह शाम हो जाती है और मंजू का घर मेहमानो से भर जाता बारात भी बस आने वाली थी मंजू तैयार हो रही थी और अंजली उसे अपने हाथो से तैयार कर रही होती है ।
मंजू के पिता कभी इधर जाते तो कभी उधर । कभी बावर्ची के पास जाकर कहते की खाना उम्दा और लजीज बनाना मेरी बेटी के ससुराल का मामला है। कभी सजावट वाले से ठीक से सजाने को कहते वो बेटी की जुदाई के गम को अन्दर लिए बेठे होते है ।
मंजू अपने पिता को भाग दौड़ करते देख काफ़ी उदास होती है ।
Shnaya
07-Apr-2022 12:17 PM
Very nice👌
Reply
Dr. Arpita Agrawal
28-Mar-2022 06:40 AM
बेहतरीन भाग 👌👌
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Fareha Sameen
25-Mar-2022 07:45 PM
Buhat acha likha👏
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